राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस का इतिहास, 2021
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राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस - 2021 (National Technology Day - 2021)
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस-2021 (National Technology Day-2021) मनाया गया है।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस-2021 के अवसर पर भारतीय प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों को नमन किया।
वर्ष 2021 के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस की थीम ‘सतत् भविष्य के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी’ है।
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प्रमुख बिन्दु
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस-2021 के अवसर पर वैज्ञानिकों और विज्ञान के प्रति जुनून रखने वालों की सराहना की है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर, हम अपने वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकी के प्रति जुनून रखने वालों को उनकी अथक मेहनत के लिये उन्हें नमन करते हैं। हम गर्व से वर्ष 1998 के पोखरण परीक्षण को याद करते हैं, जिसने भारत की वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीय शक्ति से परिचित कराया था।
इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री ने कहा कि हर चुनौतीपूर्ण परिस्थिति में हमारे वैज्ञानिकों और नवोन्मेषियों ने हमेशा आगे बढ़कर चुनौती का सामना करने का बीड़ा उठाया है। पिछले कई वर्षों के दौरान, उन्होंने कोविड-19 महामारी के खिलाफ जंग में बहुत मेहनत की है। मैं उनके जोश और उनके असाधारण उत्साह की सराहना करता हूं।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस (National Technology Day)
11 मई, 1998 को राजस्थान के पोखरण में ‘ऑपरेशन शक्ति’ के तहत परमाणु परीक्षण आयोजित किया गया था और भारतीय वैज्ञानिकों, इंजीनियरों आदि ने जबरदस्त उपलब्धि हासिल की थी।
इन्ही उपलब्धियों के आधार पर, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस घोषित किया था।
जिसके बाद हर साल 1999 से प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (Technology Development Board-TDB), इस दिन विभिन्न तकनीकी नवाचारों का जश्न मनाता है।
ऑपरेशन शक्ति
पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण 18 मई, 1974 में किया गया था ; जिसका नाम 'स्माइलिंग बुद्धा' रखा गया था।
जबकि पोखरण में दूसरा परीक्षण 11 मई, 1998 को ‘ऑपरेशन शक्ति’ के तहत किया गया था। इस परमाणु परीक्षण का नाम ‘पोखरण II’ था।
‘पोखरण II’ के तहत 11 मई से लेकर 13 मई तक पाँच परमाणु परीक्षण किए गए थे। जिनमें से पहला एक संलयन (Fusion) बम था जबकि अन्य चार विखंडन बम थे।
‘ऑपरेशन शक्ति’ मिशन को भारतीय सेना, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), परमाणु खनिज निदेशालय अन्वेषण एवं अनुसंधान (AMDER) निदेशालय के वैज्ञानिकों के सहयोग से किया गया था।
‘ऑपरेशन शक्ति’ मिशन का नेतृत्त्व दिवंगत राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा किया गया था।
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